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ग्राम पड़कीपाली में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का भव्य समापन

कथा का भव्य समापन

ग्राम पड़कीपाली (भावरपुर) में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ किया गया। यह आयोजन 28 फरवरी से प्रारंभ हुआ था, जिसका समापन आज गुरुवार को बड़े हर्षोल्लास और भक्तिमय वातावरण में हुआ। इस दौरान पूरे गाँव में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ और भक्तिभाव से सराबोर श्रद्धालु बड़ी संख्या में कथा सुनने पहुँचे।

भक्तों का उमड़ा जनसैलाब

श्रीमद्भागवत कथा के इस पावन आयोजन में न केवल गाँव के निवासी बल्कि दूर-दूर से आए श्रद्धालु भी शामिल हुए। जैसे-जैसे कथा आगे बढ़ी, वैसे-वैसे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती गई। पूरे सप्ताह गाँव में भक्ति की धारा प्रवाहित होती रही, जिससे श्रद्धालु आनंदित और भाव-विभोर होते रहे।

कथा वाचक के प्रेरणादायक प्रवचन

इस सात दिवसीय कथा में प्रख्यात कथा वाचक श्री देवराज मिश्रा जी ने अपने ओजस्वी और मधुर वचनों से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया। उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए बताया कि—

“भक्ति, प्रेम और सद्गुणों के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कभी भी अधर्म, पाप और अनैतिक कार्यों की ओर प्रवृत्त नहीं होता। जो व्यक्ति निष्काम भाव से भगवान की भक्ति करता है, उसे मोक्ष और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।”

उन्होंने कहा कि कलियुग में नाम संकीर्तन ही सबसे सरल साधन है। भगवान के नाम के स्मरण से जीव के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

कथा के प्रमुख प्रसंग और संदेश

पूरे सप्ताह श्रीमद्भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं से लेकर महाभारत के प्रसंगों और भक्त प्रह्लाद, ध्रुव चरित्र, सुदामा चरित्र, गोपी प्रेम, उद्धव संवाद आदि महत्वपूर्ण कथाओं का वर्णन किया गया। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और रास उत्सव के प्रसंगों ने भक्तों को भाव-विभोर कर दिया।

कथा वाचक श्री मिश्रा जी ने भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों को जीवन में अपनाने का आग्रह करते हुए कहा कि—

“जो व्यक्ति सच्चे हृदय से ईश्वर की शरण में जाता है, वह सभी दुखों से मुक्त होकर आनंदमय जीवन प्राप्त करता है।”

ग्रामवासियों का विशेष योगदान

इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में ग्राम पड़कीपाली (भावरपुर) के समस्त ग्रामवासियों का विशेष योगदान रहा। आयोजन की समस्त व्यवस्थाएँ श्री विष्णु चरण चौधरी एवं श्रीमती कैलाश मोती चौधरी, श्री शिव चरण चौधरी एवं श्रीमती यशोदा चौधरी, श्री हरीश चौधरी एवं श्रीमती मेम बाई चौधरी द्वारा संभाली गईं।

गाँव के अन्य श्रद्धालुओं ने भी तन, मन और धन से इस धार्मिक आयोजन में सहयोग दिया। सभी ग्रामवासियों ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ इस आयोजन को सफल बनाया।

शोभायात्रा और प्रसाद वितरण

कथा के समापन के अवसर पर शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें भक्तों ने भजन-कीर्तन करते हुए भाग लिया। इसके बाद विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और कथा के पुण्यफल का लाभ लिया।

गाँव में भक्ति और अध्यात्म का माहौल

पूरे सप्ताह गाँव का माहौल भक्तिमय बना रहा। दिनभर श्रीमद्भागवत कथा के प्रवचन होते रहे और रात्रि में भजन-कीर्तन की गूंज से गाँव गूँज उठा। गाँव के बच्चे, युवा, महिलाएँ और बुजुर्ग सभी इस आयोजन में पूरे श्रद्धा भाव से सम्मिलित हुए।

आयोजन का समापन एवं आभार व्यक्त

  • कथा के समापन पर आयोजकों एवं श्रद्धालुओं ने भगवान का गुणगान करते हुए भावपूर्ण विदाई ली। आयोजकों ने सभी श्रद्धालुओं, ग्रामवासियों एवं सहयोगियों का आभार व्यक्त किया और भविष्य में भी इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों को जारी रखने का संकल्प लिया।

इस सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ने सभी भक्तों के हृदय में भक्ति की अलौकिक ज्योति प्रज्वलित कर दी और गाँव में अध्यात्मिक जागरूकता का संचार किया।

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